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ईक्षण और पर्यटन।

पंकज खन्ना 9424810575 ईक्षण और पर्यटन! तवा संगीत पर संगीत की चर्चा तो जारी रहेगी। पर दुनिया में सिर्फ श्रवण ही सब कुछ नहीं है। ईक्षण  भी जरूरी है। पर्यटन से ज्यादा जरूरी है। ईक्षण तो बगैर पर्यटन के भी हो सकता है। पहले ईक्षण शब्द को समझ लेते हैं। बहुत ही साधारण सा शब्द है पर असाधारण संभावनाएं जगाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है: आँखों से देखने की क्रिया या भाव। हम सभी इन शब्दों से भली-भांति परिचित हैं: निरीक्षण, अधीक्षण, परीक्षण, पर्यवेक्षण, प्रशिक्षण, शिक्षण, आदि-आदि। ये सभी शब्द  ईक्षण से ही उत्पन्न हुए हैं। काफ़ी सरकारी से शब्द हैं ये। जिंदगी बहुत भारी हो जाती है इन सरकारी, गैर-सरकारी शब्दों का चोगा पहनने से। और सरल-सहज ईश्वर प्रदत्त 'ईक्षण' पीछे छूट जाता है। जब ये सब चोगे, नकाब उतर जाते हैं तो  सिर्फ  ईक्षण  ही बचता है।  प्रभु ने तो हमें ईक्षक बना कर ही भेजा था पर हम सब निरीक्षक, अधीक्षक, परीक्षक, पर्यवेक्षक आदि बन बैठे, घमंड के साथ। साक्षी भाव से देखें तो दुनिया का सतत् धनात्मक चतुर्मुखी ईक्षण ही सच्चा पर्यटन है। चलो ईक्षक बनें, पर्यटक ब...