ईक्षण और पर्यटन।
पंकज खन्ना
9424810575
ईक्षण और पर्यटन!
पहले ईक्षण शब्द को समझ लेते हैं। बहुत ही साधारण सा शब्द है पर असाधारण संभावनाएं जगाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है:आँखों से देखने की क्रिया या भाव।
हम सभी इन शब्दों से भली-भांति परिचित हैं: निरीक्षण, अधीक्षण, परीक्षण, पर्यवेक्षण, प्रशिक्षण, शिक्षण, आदि-आदि। ये सभी शब्द ईक्षण से ही उत्पन्न हुए हैं।
काफ़ी सरकारी से शब्द हैं ये। जिंदगी बहुत भारी हो जाती है इन सरकारी, गैर-सरकारी शब्दों का चोगा पहनने से। और सरल-सहज ईश्वर प्रदत्त 'ईक्षण' पीछे छूट जाता है। जब ये सब चोगे, नकाब उतर जाते हैं तो सिर्फ ईक्षण ही बचता है।
प्रभु ने तो हमें ईक्षक बना कर ही भेजा था पर हम सब निरीक्षक, अधीक्षक, परीक्षक, पर्यवेक्षक आदि बन बैठे, घमंड के साथ। साक्षी भाव से देखें तो दुनिया का सतत् धनात्मक चतुर्मुखी ईक्षण ही सच्चा पर्यटन है। चलो ईक्षक बनें, पर्यटक बनें! आज 27/9/2023 को विश्व पर्यटन दिवस (World Tourism Day) भी है!🤗
बहुत खुशी है कि कुछ ईक्षण तो किया ही है जिंदगी में! बस उन्हीं यादों को शब्दों और तस्वीरों में यहां पेश करने की कोशिश की जाएगी। जिंदगी का सबसे ज्यादा समय इंदौर में गुजारा है इसलिए शुरुआत सिर्फ इंदौर के आसपास के स्थानों के बारे में। बाद में मालवा, मध्यप्रदेश, पड़ोसी प्रदेश और फिर देश-विदेश।
पिछले 16 सालों से इंदौर के आसपास 200 किलोमीटर तक की परिधि में आने वाले स्थानों का कई-कई बार रेल/बस/कार/स्कूटर/साइकिल द्वारा और पैदल भ्रमण-ईक्षण किया है। उन्ही सब स्थानों की यादों का संरक्षण करने के लिए ये ब्लॉग लिखा जा रहा है।
इसमें आप कृपया गुगलात्मक विवरण की अपेक्षा ना करें। इस ब्लॉग में कुछ तस्वीरें होंगी, कुछ बातें होंगी और एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण होगा जो कुछ लोगों को जरूर पसंद आएगा। बाकी असली ईक्षण तो आप को ही अपनी समझ से करना है।
आज थोड़ी सी सामान्य बातें पर्यटन के बारे में कर लेते हैं, भूमिका बांध देते हैं। फिर उसके बाद तो ब्लॉग रवां हो ही जाएगा!
पर्यटन या तो स्थानीय हो सकता है या बाह्य। पहले स्थानीय पर्यटन के बारे में ही बातें कर लेते हैं।
पिछले कुछ सालों से स्थानीय पर्यटन का मतलब सिर्फ ये रह गया है: अपनी-अपनी गाड़ियों से कुछ चुने हुए प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों पर छुट्टी के दिन जाना, खाना-पीना, तेज आवाज के साथ संगीत सुनना, कुछ लोगों द्वारा गुटखा खाकर थूकना, प्लास्टिक कचरा फेंकना, सेल्फी खींचना और तैरना आए या ना आए सेल्फी खींचते हुए डूब जाना और फिर अन्य लोगों द्वारा प्रशासन को गाली बकना।
बहुत अधिक लोग आत्म-मुग्ध होकर सिर्फ सेल्फी खींचने में ही विश्वास रखते हैं। जब तक ये सेल्फी फेसबुक/इंस्टाग्राम/व्हाट्सएप पर न लगा दें , पर्यटन पूरा नहीं होता।
हमें उपरोक्त प्रकार के सेल्फी-पर्यटन, पेटू-पर्यटन या हल्लाबोल -पर्यटन से कोई समस्या या परहेज नहीं है। लेकिन ये पर्यटन थोड़ा सा अधूरा है। इसमें शांति का टोटा है। ईक्षण में क्षीणता है। और प्रभु या प्रकृति से संपर्क और संवाद का अभाव है।
पर्यटन का सही उद्देश्य देखना है, खुद को दिखाना नहीं। दिल, दिमाग, नेत्र, आत्मा , और पेट को जीमाना अवश्य पर्यटन है, लेकिन सिर्फ और सिर्फ पेट को जीमाणा नहीं।
शहर से दूर गांवों और जंगलों में शांति से पेड़-पौधे, फल-फूल, तितलियां, कीट-पतंगे, पशु, आसमान, धरती, नदी, पहाड़ , जंगल को निहारना, पक्षियों का कलरव देखना-सुनना, नदी-झरने को देखना-सुनना-समझना, आसपास के पुरा-सौंदर्य को भी सराहना, चांदनी रात में चांद को निरखना और मधु-वातास ( मधुर हवा) के स्पर्श को अनुभव करना ही निष्कपट पर्यटन है।
ऐसे पर्यटन में ही किसी इक क्षण में प्रभु का अंदर से ईक्षण भी हो जाता है। बरबस मन गा उठता है: हरी भरी वसुंधरा.... ये कौन चित्रकार है!
(तवा संगीत का सुरूर धीरे धीरे ही लुप्त होगा और पुरा-पर्यटन भी धीरे-धीरे ही परवान चढ़ेगा।)
दूसरे अंक में इंदौर के आसपास प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में थोड़ा सा प्रारंभिक विवरण। और फिर तीसरे अंक में इंदौर के पुरा-सौंदर्य का संक्षिप्त वर्णन। और फिर तो बात दूर तलक जाएगी!😊🙏
पंकज खन्ना
9424810575
(मेरे कुछ अन्य ब्लॉग:
तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।)
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इस ब्लॉग को निम्नलिखित भागों /श्रृंखलाओं में विभक्त किया गया है:
(A) इंदौर का प्राकृतिक सौंदर्य।
(B) इंदौर का पुरा सौंदर्य।
(C) इंदौर के पक्षी।
(D)